तुमसा कहाँ कोई
रहबर, दिलदार मेरा .
बहता जो नस -नस में
बनकर प्यार मेरा !
बहुत तड़प है इसमें
आँसू, आहें और ग़म हैं .
सुकून ग़जब का देता है पर
चाहत का ये आज़ार मेरा !
जागूं उलझे यादों से तेरी
सोऊँ तो देखे ख़्वाब तेरे .
पल भर चैन से जीने ना दे
ये दिले -बेज़ार मेरा !
इस दुनिया से डर कैसा ?
तुम जो हो ग़र साथ मेरे .
फूलों की चाह नहीं मुझको
और क्या कर लेगें ख़ार मेरा ?
दुनिया फ़ानी और फ़रेबी
सच्चा, मासूम इक प्यार तेरा
कुछ देर तुझे ना देखूं तो
जीना हो दुश्वार मेरा !
सबको कहाँ मिलता मसीहा
तुझ सा रहनुमा कोई ?
मुझे मयस्सर तू दुनिया में
सजदा सौ-- सौ बार तेरा !