यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 16 मार्च 2020

तुमसा कहाँ कोई


तुमसा कहाँ कोई 
रहबर, दिलदार मेरा .
बहता जो नस -नस में 
बनकर प्यार मेरा !

बहुत तड़प है इसमें 

आँसू, आहें और  ग़म हैं .
सुकून ग़जब का देता है पर 
चाहत का ये आज़ार मेरा !

जागूं उलझे यादों से तेरी

सोऊँ तो देखे ख़्वाब तेरे .
पल भर चैन से जीने ना दे
ये दिले -बेज़ार मेरा !

इस दुनिया से डर कैसा ? 

तुम जो हो ग़र साथ मेरे .
फूलों की चाह नहीं मुझको 
और क्या कर लेगें ख़ार मेरा ?

दुनिया फ़ानी और फ़रेबी
सच्चा, मासूम इक प्यार तेरा
कुछ देर तुझे ना देखूं तो
जीना हो दुश्वार मेरा !

सबको कहाँ मिलता मसीहा 

तुझ सा रहनुमा कोई ? 
मुझे मयस्सर तू दुनिया में 
सजदा सौ-- सौ बार तेरा !