खुशियों के कोलाहल में भी
हम गीत तुम्हारे लिखते हैं
हँसते- हँसते छलक पड़े जो
आँसू खारे लिखते हैं।।
महफ़िल में हो जाते तन्हा
ले तुम्हें साथ ख्यालों में
संग तुम्हारे आने से
मिटते दुःख सारे लिखते हैं।।
तुम्हारे लिए हर गीत लिखा
हर ग़ज़ल तुम्हारे नाम कही
बतलाते इस दुनिया को
हो कितने प्यारे लिखते हैं।।
सरल, निश्चल और निर्मल
बचपन के साथी से लगते
देकर स्नेहिल संग अपना
मोडे वक्त के धारे लिखते हैं।।