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बुधवार, 17 फ़रवरी 2021

आज कविता सोई रहने दो !

 आज  कविता सोई रहने दो,

मन के मीत  मेरे !

आज नहीं जगने को आतुर 

सोये उमड़े   गीत मेरे !

कोई तो ऐसी बात है जो ये

 मन विचलित हुआ जाता है ,

अनायास जगा दर्द कोई 

 पलकें नम किये जाता है ,

आज नहीं सोने देते  

 ये रात - पहर रहे बीत मेरे !


आज ना चलती मन की कोई

उपजे ना प्रीत का राग कोई 

 शांत हृदय में अनायास ही

व्याप्त हुआ विराग कोई,

चैन से रहने न देते

देह -प्राण रहे रीत मेरे! 


कोई खुशी  ना छूकर गुजरे,

बहलाती  ना सुहानी याद कोई।

होठों पर से लौटती जाती,

आ -आ कर फरियाद कोई  ।

लगे बदलने असह्य पीर में 

मधुर   प्रेम- संगीत मेरे!


























यू