क्या दूं प्रिय! उपहार तुम्हें?
जब सर्वस्व पे है अधिकार तुम्हें
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क्या दूं प्रिय! उपहार तुम्हें?
जब सर्वस्व पे है अधिकार तुम्हें
था वो मासूम-सा
दिल का फ़साना साहेब
कहाँ आसान था पर
प्यार निभाना साहेब !
दुआ थी ना कोई चाह अपनी
यूँ ही मिल गयी उनसे निगाह अपनी
बड़ा प्यारा था उनका
सरेराह मिल जाना साहेब !
रिश्ता ना जाने कब का
लगता करीब था
उनसे यूँ मिलना
बस अपना नसीब था
अपनों से प्यारा हो गया था
वो एक बेगाना साहेब !
वो सबके खास थे
पर अपने तो दिल के पास थे
हम इतराए हमें मिला
दिल उनका नजराना साहेब!
हमसे निकलने लगे बच - बच कर
खूब मिले ग़ैरों से हँस कर!
फिर भी रहा राह तकता,
दिल था अजब दीवाना साहेब!
बातें थी कई झूठी,
अफ़साने बहुत थे!
हुनर उनके पास
बहलाने के बहुत थे!
ना दिल सह पाया धीरे- धीरे
उनका बदल जाना साहेब!
बहाए आँसू उनकी खातिर
और उड़ाई नींदें अपनी
जो लुटाया उनपर हमने
था अनमोल खजाना साहेब
बहुत संभाला हमने खुद को
दर्द को पीया भीतर -भीतर
पर ना रुक पाया जब -तब
अश्कों का छलक जाना साहेब!!
अलविदा कहना कहाँ आसान था ?
टूटा जो रिश्ता वो मेरा गुमान था !
पर बेहतर था तिल-तिल मरने से ,
एक दफ़ा मर जाना साहेब !
आज कविता सोई रहने दो,
मन के मीत मेरे !
आज नहीं जगने को आतुर
सोये उमड़े गीत मेरे !
कोई तो ऐसी बात है जो ये
मन विचलित हुआ जाता है ,
अनायास जगा दर्द कोई
पलकें नम किये जाता है ,
आज नहीं सोने देते
ये रात - पहर रहे बीत मेरे !
आज ना चलती मन की कोई
उपजे ना प्रीत का राग कोई
शांत हृदय में अनायास ही
व्याप्त हुआ विराग कोई,
चैन से रहने न देते
देह -प्राण रहे रीत मेरे!
कोई खुशी ना छूकर गुजरे,
बहलाती ना सुहानी याद कोई।
होठों पर से लौटती जाती,
आ -आ कर फरियाद कोई ।
लगे बदलने असह्य पीर में
मधुर प्रेम- संगीत मेरे!
यू
,❤❤🌹🌹❤❤
सुकुमार कली घर आई
आँखों में सपने भरआई।
अडिग विश्वास लिए मन में
सजी साजन संग बंधन में
पुलकित कभी सशंकित सी
नव vihaan
खुशियों के कोलाहल में भी
हम गीत तुम्हारे लिखते हैं
हँसते- हँसते छलक पड़े जो
आँसू खारे लिखते हैं।।
महफ़िल में हो जाते तन्हा
ले तुम्हें साथ ख्यालों में
संग तुम्हारे आने से
मिटते दुःख सारे लिखते हैं।।
तुम्हारे लिए हर गीत लिखा
हर ग़ज़ल तुम्हारे नाम कही
बतलाते इस दुनिया को
हो कितने प्यारे लिखते हैं।।
सरल, निश्चल और निर्मल
बचपन के साथी से लगते
देकर स्नेहिल संग अपना
मोडे वक्त के धारे लिखते हैं।।
ये शाम बहुत निराली है
तेरी यादों से सजी दिवाली है