हद पार इश्क की क्या कहिये -
कब उनसे कोई बात हुई ?
हम उनमें वो हममें उलझे
रुक सी कायनात गई
बिसरे सब जग के मेले थे
हम भीड़ में हुए अकेले थे
एक चेहरा था और हम थे
बस सुबह उगी और रात हुई
बस सुबह उगी और रात हुई
चढ़ा प्रीत रंग रूह डूबी
यूँ रंगों की बरसात हुई !!