शाम ढले जाने क्यूँ
ये नैना भर आये मीता!
दुनिया बहुत बड़ी थी लेकिन
तुम ही क्यूँ याद आये मीता?
ये नैना भर आये मीता!
दुनिया बहुत बड़ी थी लेकिन
तुम ही क्यूँ याद आये मीता?
तुम से तुम तक बात मेरी
तुम्हीं तक जाती राह मेरी
अनगिन चेहरे नज़र से गुजरे
तुम्हीं क्यूँ मन को भाये मीता?
तुम्हीं तक जाती राह मेरी
अनगिन चेहरे नज़र से गुजरे
तुम्हीं क्यूँ मन को भाये मीता?
अधिकार ना कोई तुम पर
पर अपने से लगे सदा
पल भर को भी मन को
लगे ना कभी पराये मीता!
मिलतुमसे अनगिन खुशियाँ पाई
संग पीड़ा के दंश सहे
जुदाई के दुख झेले हँस कर
आनंद विरह के पाये मीता
उजालों से जगमग हुआ जग सारा
महल ,चौबारे और गलियाँ
तुम बिन भीतर रहा अँधेरा
दुनिया ने दीप जलाये मीता!
पर अपने से लगे सदा
पल भर को भी मन को
लगे ना कभी पराये मीता!
मिलतुमसे अनगिन खुशियाँ पाई
संग पीड़ा के दंश सहे
जुदाई के दुख झेले हँस कर
आनंद विरह के पाये मीता
उजालों से जगमग हुआ जग सारा
महल ,चौबारे और गलियाँ
तुम बिन भीतर रहा अँधेरा
दुनिया ने दीप जलाये मीता!