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सोमवार, 9 सितंबर 2019

आई तुम्हारी याद

दूभर तो बहुत थी -
ये उदासियाँ मगर ,
आई तुम्हारी याद -
तो हम मुस्कुरा दिए !
आई पलट के खुशियां -
महकी हैं मन की गलियां ;
बहुत दिनों के बाद -
हम मुस्कुरा दिए ! ! 

बड़े विकल कर रहे थे --
कुछ  संशय मनचले थे ;

धीरज ना कुछ बचा था -
और नैन भर चले थे ;
बस यूँ ही उड़ चले --

कई दर्द अनकहे
 . 
जब तुमसे हुई बात -

तो हम मुस्कुरा दिए ! ! 

हम यूँ ही बस भले थे -
तन्हाइयों में जीते !
तुम आये किधर से राही -
ले रंग   जिंदगी के ?
जीवन में वो कमी थी -
आँखों में बस नमी थी , 
पर तुम जो आये साथ -- 
तो हम मुस्कुरा दिए ! !


अपना ये सब जहाँ था -

पर तुमसा  कोई कहाँ था ?

अंधेरों से मन घिरा था 

हर  पग पे  इम्तिहां था 

 थे  कभी  अकेले  ;

 तुम  लाये ख़ुशी के मेले

 सुनी  मन  की  बात 

तो  हम  मुस्कुरा दिये !!!!!!!!

चित्र ------ गूगल से साभार ----
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