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सोमवार, 9 सितंबर 2019

तुम्हें समर्पित सब गीत मेरे !

मीत कहूं ,मितवा कहूं ,
क्या कहूं तुम्हे  मनमीत मेरे ?
 नाम तुम्हारे ये शब्द  मेरे
तुम्हें समर्पित सब गीत मेरे !!


 हर बात  कहूं  तुमसे मन की  -

 कह अनंत सुख पाऊँ मैं ,
 निहारूं नित मन- दर्पण में  -
  तुम्हे  स्व सम्मुख   पाऊँमैं;
सजाऊँ  ख्वाब नये  तुम संग -
 भूल, ये  गीत -अतीत मेरे  !!

सृष्टि में जो ये प्रणय का
 अदृश्य  सा महाविस्तार है -
जो युगों से है अपना -
 वही इसका दावेदार है --
बंधने नियत थे तुम संग -
जन्मों के बंध पुनीतमेरे !!
  
अनुराग बन्ध में सिमटी मैं 
यूँ ही पल- पल जीना  चाहूं ,
सपन- वपन कर डगर पे साथी -
संग तुम्हारे चलना चाहूं ;
 तेरे प्यार  से हुए हैं जगमग -
ये नैनों के दीप मेरे  !!
 नाम तुम्हारे हर  शब्द  मेरे
 तुम्हें समर्पित सब गीत मेरे !!!
स्वरचित 
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