रौंदा जिस कली को मिलजुल -
क्या वो देह कोई पत्थर की थी?
वो भी चांदनी आंगन की -
इज्जत किसी घर की थी |
घोल कोमल देह में
नशीली दवाओं का जहर
अय्याशों ने खूब ढाया
सुकुमारी पर पहरों कहर;
कांटे चुभोये निर्मम हो -
वो नवकली केसर की थी !!
सीना फटा होगा पिता का -
देख लाडली को बदहाल में -
समझ ना पाया होगा कैसे फंसी -
वहशियों के जाल में -
सुध -बुध खो बैठी होगी माँ -
जिसकी वो परी अम्बर की थी !!
दुष्टों के संहार को -
बहुत लिए अवतार तुमने ,
फिर मौन रहकर क्यों सुने -
मासूम के चीत्कार तुमने ?
महिमा तो रखते तनिक -
चौखट तेरे मंदिर की थी !!
साबित कर ही देते
हो सचमुच के भगवान् तुम ,
कहीं से आते बन उस दिन -
निर्बल के बल -राम तुम -
पापी का सीना चाक करते -
बात बस पल भर की थी !!!!!!!!!!!
क्या वो देह कोई पत्थर की थी?
वो भी चांदनी आंगन की -
इज्जत किसी घर की थी |
घोल कोमल देह में
नशीली दवाओं का जहर
अय्याशों ने खूब ढाया
सुकुमारी पर पहरों कहर;
कांटे चुभोये निर्मम हो -
वो नवकली केसर की थी !!
सीना फटा होगा पिता का -
देख लाडली को बदहाल में -
समझ ना पाया होगा कैसे फंसी -
वहशियों के जाल में -
सुध -बुध खो बैठी होगी माँ -
जिसकी वो परी अम्बर की थी !!
दुष्टों के संहार को -
बहुत लिए अवतार तुमने ,
फिर मौन रहकर क्यों सुने -
मासूम के चीत्कार तुमने ?
महिमा तो रखते तनिक -
चौखट तेरे मंदिर की थी !!
साबित कर ही देते
हो सचमुच के भगवान् तुम ,
कहीं से आते बन उस दिन -
निर्बल के बल -राम तुम -
पापी का सीना चाक करते -
बात बस पल भर की थी !!!!!!!!!!!