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शनिवार, 18 जनवरी 2020

आँसू

अपने आँसू  छुपा  लिए हैं
तुमने किसी बहाने से . 
 पर बरसातें कब रुकती हैं
सावन के आ जाने से ?

एक दिन जो  रोने की खातिर.
 मजबूत सा कान्धा  मिल जाएगा ; 
 आँसू का ये बांध   उसी पल
बंध तोड़कर बह जाएगा !!

दर्द जिगर का सुनने  वाले
इस दुनिया में लोग कहाँ ?
पर,कोई मसीहा  बन मिल जाता
हो   जाते हैं संयोग यहाँ ;
जाने  कौन कहाँ से आकर
दर्द का मरहम बन जाएगा !!

 शायद आकर कोई   किसी दिन  
 पढ़ले   व्यथा अंतर्मन की ,
और बाँध जाये पल में
 गाँठ जन्मों के बंधन की ;
 जो भर देगा खुशियों से दामन  
प्यार  का तोहफा  दे जाएगा !!