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शुक्रवार, 17 जनवरी 2020

मेरी दुआ

मेरी दुआ ! कागज से लिपट . 
 मनमीता के घर जाना तुम, 

 जहाँ रहता सखा मेरा.
 कण -कण व्याप्त हो जाना तुम! 

 चले अपनों के संग जब वो .
 हर बला से उसे बचाना तुम!

 जब सताये धूप दुविधाओं की,
 बन बदली सर पे छा जाना तुम! 

 बाधा ना रहे जिस राह चले वो, 
जा कदमों में बिछ जाना तुम !

 बड़ा सरल मनमीत मेरा.
 सदा उसका साथ निभाना तुम!!