मेरी दुआ ! कागज से लिपट .
मनमीता के घर जाना तुम,
जहाँ रहता सखा मेरा.
कण -कण व्याप्त हो जाना तुम!
चले अपनों के संग जब वो .
हर बला से उसे बचाना तुम!
जब सताये धूप दुविधाओं की,
बन बदली सर पे छा जाना तुम!
बाधा ना रहे जिस राह चले वो,
जा कदमों में बिछ जाना तुम !
बड़ा सरल मनमीत मेरा.
सदा उसका साथ निभाना तुम!!
मनमीता के घर जाना तुम,
जहाँ रहता सखा मेरा.
कण -कण व्याप्त हो जाना तुम!
चले अपनों के संग जब वो .
हर बला से उसे बचाना तुम!
जब सताये धूप दुविधाओं की,
बन बदली सर पे छा जाना तुम!
बाधा ना रहे जिस राह चले वो,
जा कदमों में बिछ जाना तुम !
बड़ा सरल मनमीत मेरा.
सदा उसका साथ निभाना तुम!!