मन क्षितिज , शीतल करता उच्छ्वास तुम्हारी यादों का _
मेरे सक्रिय ब्लॉग --
क्षितिज ---https://renuskshitij.blogspot.com/
मीमांसा --https://mimansarenu550.blogspot.com/
यह ब्लॉग खोजें
शनिवार, 18 जुलाई 2020
बीती रुत बसंत - लघु कविता
बीती रुत बसंत, जिसे ढूंढे मन मेरे; कहाँ सपनों के साज लुटे बहार के डेरे !
अकेले जीना सीख मीता के मीत अनेकों दे उन्हें दुआएं रोज़ बात यही हित तेरे !
समय ना लौटा आय यही है जग की रीती ढलती जीवन की साँझ ना आते नए सवेरे !!!