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बुधवार, 17 नवंबर 2021

मुन्नी हँसती हौले हौले!

बैया - सा मुँह खोले,

मुन्नी  हँसती हौले-हौले,


अधमुंदी पलकों के पीछे

जाने कैसे सपने देखे! 

चौंक के  खुलते अनायास

अभिराम नयन-पट भोले!


ना जाने अभिनय का कौतुक

तके टुकुर- टुकुर हो भौचक!

लेती अँगड़ाई अनायास 

 फिर भार देह का तोले

मुन्नी हँसती हौले-हौले!


 अजब स्वामिनी बनी

नचाए सबको ऊँगली पर

 मुस्कान पे हर कोई न्यौछावर

इसी के अंगसंग डोले

मुन्नी हँसती  हौले-हौले!