बैया - सा मुँह खोले,
मुन्नी हँसती हौले-हौले,
अधमुंदी पलकों के पीछे
जाने कैसे सपने देखे!
चौंक के खुलते अनायास
अभिराम नयन-पट भोले!
ना जाने अभिनय का कौतुक
तके टुकुर- टुकुर हो भौचक!
लेती अँगड़ाई अनायास
फिर भार देह का तोले
मुन्नी हँसती हौले-हौले!
अजब स्वामिनी बनी
नचाए सबको ऊँगली पर
मुस्कान पे हर कोई न्यौछावर
इसी के अंगसंग डोले
मुन्नी हँसती हौले-हौले!