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शनिवार, 22 जनवरी 2022

क्या दूं प्रिय उपहार तुम्हें?

 क्या दूं प्रिय! उपहार तुम्हें?

जब सर्वस्व पे है अधिकार तुम्हें

मेरी हर प्रार्थना में तुम हो
निर्मल अभ्यर्थना में तुम हो
तुम्हें समर्पित हर प्रण मेरा
माना जीवन आधार तुम्हें

मुझमें -तुझमें क्या अंतर अब!
 कहां भिन्न दो मन-प्रांतर अब
क्या शेष रहा भीतर मेरे
जीता है सब कुछ हार तुम्हें

मेरे साथ मेरे सखा तुम्हीं
मन की पीड़ा की दवा तुम्हीं
क्यों आस कोई जग से रखूं
जब सौंपा सब उर भार तुम्हें

क्या दूं प्रिय! उपहार तुम्हें?
जब सर्वस्व पे है अधिकार तुम्हें