तुम क्या जानो ?
तुम बसे हो कैसे मेरे ह्रदय तल में ;
जैसे सीप में मोती है
और बूँद छिपी बादल में
जीवन धारा की लहरों पे
जब से मिला साथ तुम्हारा है
मगन हैं हम सब भूल गये
कहाँ जल है कहाँ किनारा है ?
तुम बसे हो कैसे मेरे ह्रदय तल में ;
जैसे सीप में मोती है
और बूँद छिपी बादल में
जीवन धारा की लहरों पे
जब से मिला साथ तुम्हारा है
मगन हैं हम सब भूल गये
कहाँ जल है कहाँ किनारा है ?