रहे मुस्काते सबके आगे, कब सही
दिल का हाल बताया हमने
थे भीतर कंगाल बहुत
पर. मालामाल दिखाया हमने!
,मजबूरी में विदा किया
पर चैन कहाँ उन्हें खोकर
उन राहों पर बिछी थी आँखे
जहाँ से निकले वो होकर
सुन, जिसे वो समझ न पाए
गीत वही क्यों गाया हमने
!
कुछ कह न सके
न कुछ सुन ही सके!
चंद सपने भी उन संग
हम न बुन ही सके
खता करी न कोई फिर भी
खुद को बहुत सताया हमने!
बने दस्तावेज दर्द के
पल खुशियों के रूठ गए!
बहुत संभाला खुद को हमने
पर बाँध सब्र के टूट गए!
रिसा पलकों से बूँद -बूँद
नैनों का ताल सुखाया हमने!